Hindī sāhitya: usakā udbhava aura vikāsa |
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अधिक अनेक अन्य अपनी अपने अपभ्रंश आदि इन इनकी इस इस प्रकार इसी ई० उन उनकी उनके उन्होंने उर्दू उस एक ओर और कई कबीर कर करता करते करने कवि कविता कवियों कहा कहानी का कारण काव्य किया किया है किसी की कुछ के लिये के साथ केवल को कोई गई गए गद्य गया है गुरु ग्रंथ जा जाता है जाने जी जो तक तुलसीदास तो था थी थे दिया दृष्टि देश दो नवीन नहीं है नाम नामक ने पर परंतु परंपरा पहले पुस्तक प्रकार की प्राकृत प्राप्त प्रेम प्रेमचंद फिर बहुत बात बाद भक्ति भारत भाव भी में में भी यह या ये रचना रचनाएँ रचनाओं रस रहा रहे राजा रूप में लिखा लिखी लिखे वह विद्यापति विषय वे शताब्दी के संप्रदाय संस्कृत सकता सन् सब समय साहित्य में सूरदास से हिंदी हिंदी साहित्य ही हुआ है हुई हुए है और है कि हैं हो होती होने