Machalī marī huī

Front Cover
Rājakamala Prakāśana, 1964 - 163 pages

From inside the book

Contents

Section 1
7
Section 2
9
Section 3
13
Copyright

5 other sections not shown

Common terms and phrases

अपना अपनी अपने अब आदमी इस उसकी उसके उसने उसे एक ओर और कभी कर करता करती करते करने कलकत्ता कल्याणी कल्याणी ने कहा कहीं का कि किया किसी की तरह कुछ के पास के बाद के लिए के साथ को कोई क्या क्यों खड़ा खड़ी गई गया है चली चाहता चाहती है चाहिए जा जाता है जाती जैसे जो डॉक्टर रघुवंश तक तुम तो था थी थे दिन दिया देखा देर दो दोनों नहीं है नियोगी निर्मल ने निर्मल पद्मावत नीचे न्यूयार्क पर पहले प्यार प्रिया फिर बड़ी बन्द बहुत बात बार बाहर भी नहीं मगर माँ मिल मुझे में मेरे मेहता मैं मैंने यह यहाँ या रहती रहा रही है रहे रात लगा लगी लड़की लिया लेकिन लोग वह वे शराब शहर शीरीं शीरों श्रौर सकती सामने साल साहब सिर से हर हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है और हैं हो गई हो गया होती

Bibliographic information