Viśvacetanā ke manasvī santa Muni Śrī Suśīla Kumāra

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Ahiṃsā Prakāśana, 1974 - 104 pages

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अगर अथवा अधिक अनेक अपना अपनी अपने अहिंसा आज आत्मा आदि आप इतिहास इन इस इसी उनके उन्होंने उस उसके एक एवं और कभी कर करता करते हुए करना करने के का कारण किन्तु किया किसी की कुछ के लिए के लिये के साथ को कोई क्या गई गए गया है जब जा जिस जी ने जी महाराज जीवन जैन जैन धर्म जो तक तथा तरह तो था थी थे दिन दिया दिल्ली देश धर्म के धार्मिक नहीं नहीं है नाम ने पंजाब पर प्रकार बन बम्बई बहुत बात भारत भावना भी मन मनुष्य मानव मुनि जी मुनि जी के मुनि श्री सुशील मुनिश्री में मैं यह यही या रहा है रही रहे रूप में लगा लिया वह वाले विचार वे श्री संघ संसार सब सभी समय समाज सम्मेलन सम्मेलन के सरदार सुशील कुमार जी से हम ही हुआ हुई है और है कि हैं हो होगा होता होने

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