Śarīfoṃ ke aḍḍe: upanyāsaĀdhunika Kathā Prakāśana, 1967 - 115 pages |
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अच्छा अपना अपनी अपने अब अभी आगे आज आदमी आप आप लोगों इस उनकी उनके उन्हें उन्होंने उसकी उसके उसे एक ऐसा और कभी कमरे में कर करने का कि किया किसी की ओर की तरह कुछ के लिए कैसे को कोई कोई भी कोठी क्या क्यों गया गयी गये गाड़ी चाय जब जाने जैसे जो ठीक है तक तब तुम तुम्हारी तुम्हें तो था थी थे दिया देखा धनपत बोला नहीं नहीं है ने कहा पर पापा पास फिर बहुत बात बातें बाबूजी बेटी बेबी बेबी के बोली भी भी नहीं मन मास्टर साहब मिस सविता मुँह मुझे में मेम साहब मेम साहब ने मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ रहा रही रहे ले लेकिन लोग वक्त वह वे श्राप सकता सब सविता के साहब को से सेठजी ने सेठजी बोले हम हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है है कि हैं हो होकर होगा