Rādhā. [lekhaka] Jānakīvallabha Śāstrī, Volume 2Lokabhāratī Prakāśana, 1971 - Rādhā (Hindu deity) |
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अपने अब अर्थ आग आज उचित उड़ उर उसे एक और कंस कभी कर कर्म कह कहाँ कहीं का काम काल काव्य कि किन्तु की कुछ कृष्ण के के लिए को कोई कौन क्या क्यों गई गए गगन गन्ध गया चाहता जग जब जल जहाँ जीवन जो ज्ञान ज्यों तक तन तब तम तिमिर तुम तू तो था थी दिन दृग दृष्टि दे देश दो धर्म नभ नयन नया नहीं नाम ने पथ पर पवन पुरुषार्थ प्यार प्रकृति प्रणय प्रथम प्राण फल फिर फूल बन बना बस बात भर भाव भाषा भी मन मुँह मुझे में मैं यदि यह यहाँ यही या युग यों रह रहा रही रहे राधा राधिका जैसे राम रूप लक्ष्य लहर ले लोक वह विश्व शक्ति शब्द संसार सकता सत्य सब सहज सा साँस सिन्धु सिर सी सुख से स्वर हम हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है हैं हो हों होगा होता होती