Rādhā. [lekhaka] Jānakīvallabha Śāstrī, Volume 5Lokabhāratī Prakāśana, 1971 - Rādhā (Hindu deity) |
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अपना अब असुर आप उद्धव उन्हें उसी उसे एक और कब कभी कर करते करने कर्म कह कहा कहां कहीं का कि किन्तु किया किस किसी की कुछ कृष्ण के कैसे को कोई कौन क्या क्यों गई गए गगन गया गहन घन जग को जब जल जहां जाए जिसे जीवन जो ज्ञान ज्यों तन तम तुम तू तो था थी थे दिन दी दृग देख धर्म नभ नयन नया नये नहीं नहीं जो नहीं है ने पर प्रकृति प्राण फिर बांसुरी बात बिना भर भले भी भूल मन मनुज मरण महाभारत मां मिला मुझे में में ही मेरा मेरे मैं मैंने यह यहां यही या युधिष्ठिर रवि रह रहा है रही रहे राम लिए ले वन वह विश्व विश्वास श्रीकृष्ण सकता सत्य सदा सब सभी समय समर सिर सुना सुर से स्वयं स्वर हम ही हुआ हुई हुए हूं हृदय है हैं हो हों होंगे होगा होता होती होते