Rūpa arūpa

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Kr̥shṇā Bradarsa, 1969 - Hindi fiction - 221 pages

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Contents

Section 1
1
Section 2
20
Section 3
29

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Common terms and phrases

अतुल की अतुल ने कहा अतुल बाबू अपना अपनी अपने अब आज आदमी आप आया इतना इस उस उसका उसकी उसके उसने उसने कहा उसी समय उसे एक एकाएक और औरत कमरे कर कह का काम कि वह किन्तु किया किसी की ओर की बात की माँ कुछ के पास के लिए के साथ को कोई क्या क्यों गयी गये घर जब जा जानकी जाने जिस जीवन तब तभी तरह तुम तुम्हारे तो तो वह था कि थी थे दिन दिया दे देख देखकर देखा दोनों नहीं नारी पर परन्तु पिता प्रकार फिर बन बनकर बोला भाव से भी मन में मां माँ ने मुँह मुझे मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यही रही राधा की राधा ने रुपया लगा लता के लिया लेकिन वह वह बोली वहाँ विवाह वे सचमुच सब समझ समाज से स्वयं हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है कि हैं हो गया

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