Rūpa arūpa |
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अतुल की अतुल ने कहा अतुल बाबू अपना अपनी अपने अब आज आदमी आप आया इतना इस उस उसका उसकी उसके उसने उसने कहा उसी समय उसे एक एकाएक और औरत कमरे कर कह का काम कि वह किन्तु किया किसी की ओर की बात की माँ कुछ के पास के लिए के साथ को कोई क्या क्यों गयी गये घर जब जा जानकी जाने जिस जीवन तब तभी तरह तुम तुम्हारे तो तो वह था कि थी थे दिन दिया दे देख देखकर देखा दोनों नहीं नारी पर परन्तु पिता प्रकार फिर बन बनकर बोला भाव से भी मन में मां माँ ने मुँह मुझे मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह यही रही राधा की राधा ने रुपया लगा लता के लिया लेकिन वह वह बोली वहाँ विवाह वे सचमुच सब समझ समाज से स्वयं हाँ हाथ ही हुआ हुई हुए हूँ है कि हैं हो गया