Udāsa āṅkhoṃ kī pratīkshā: kathā saṅgrahaNārtha Iṇḍiyā Pabliśarja eṇḍa Ḍisṭrībyūṭarsa, 2000 - 112 pages |
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... तब उस व्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए कहा- - " मैं तीन गावों का सरपंच हूं और आप के शाला प्रारंभ करवाने की जिम्मेदारी भी मेरी है ...
... तब उस व्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए कहा- - " मैं तीन गावों का सरपंच हूं और आप के शाला प्रारंभ करवाने की जिम्मेदारी भी मेरी है ...
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... तब उसकी नजरों में गहरी उदासीनता थी और चेहरे पर ना जाने कहां से ... तब थोड़ा सुख मिलता है तब ही नींद खुल जाती है । " - " सपना कितने बजे आया ...
... तब उसकी नजरों में गहरी उदासीनता थी और चेहरे पर ना जाने कहां से ... तब थोड़ा सुख मिलता है तब ही नींद खुल जाती है । " - " सपना कितने बजे आया ...
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... तब दोपहर में कभी - कभी शैलेन्द्र आकर बैठ जाता था और हम बातों में अपना समय व्यतीत करते थे । एक शाम को मैं रेखा को बिना कुछ कहे नर्मदा ...
... तब दोपहर में कभी - कभी शैलेन्द्र आकर बैठ जाता था और हम बातों में अपना समय व्यतीत करते थे । एक शाम को मैं रेखा को बिना कुछ कहे नर्मदा ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अब अभी अमृत अशोक आई आए आकर आज आप आया इस इसलिए उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसने उसे एक ऐसा ओर और कभी कमरे में कर करके करने कह कहने कहा कहां कहीं का काफी कि किन्तु किया किसी की कुछ के लिए को कोई क्या क्यों गई गई थी गए गांव घर चाय जब जा जाता जी जो ठीक तक तुम तुम्हें तो थे दिन दिया दे देख देखा दो दोनों नहीं नहीं है ना जाने ने पर परिवार पास पूरे फिर बहुत बात बाद बाहर भर भाई भी भी नहीं मन मुझे में मेरा मेरी मेरे मैं मैंने यह या ये रह रहा था रहा है रही थी रहे थे रात रेखा लगा लगी लगे लिया ले वह विनय वे व्यक्ति शैलेन्द्र सब समय साथ साहब सुधा से स्वर हम हाथ ही हुआ हुई हुए हूं है हैं हो गई हो गया होने