Satya ke avaśesha

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Sāhitya Pracāraka, 1971 - 314 pages

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Contents

Section 1
3
Section 2
5
Section 3
17

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Common terms and phrases

अग्निमित्र अपना अपनी अपने अब अभी आचार्य आज आज्ञा आप इतना कह इस उन्हें उस उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक और कक्ष में कर रहे करते करना करने करने के कहा का कार्य कि किन्तु किया किया है किसी की ओर कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्षण खड्ग गई गये जब जा जाने जो ज्ञात तक तुम तुम्हें तो थी थे दी देखा देव देवदत्त देवी दो दोनों द्वार धर्म नगर नहीं ने ने कहा पर पश्चात् पाटलिपुत्र पास पुष्यमित्र प्रकार प्राप्त फिर बाहर बौद्ध धर्म भवन भिक्षुक भी मगध महामात्य महाराज मुख मुझे मैं यवनराज यह युद्ध युवक रहा था रही राज्य लगा लिया ले लोहित वसुमति वह वहाँ विचार विदर्भ विहार वीरभद्र वे शक्ति सकता सब समय सम्राट साम्राज्य सुभांग सुभागा से सेना सेनापति हम हमारे हमें ही हुआ हुई हुए हूँ है है कि हैं हो गया होगा होने

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