Saṃskr̥ta ke paravartī ācārya |
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अतः अथवा अनेक अन्य अपने अर्थ अर्थात् अलंकार आचार्यों आदि इस इस प्रकार इसका उत्पन्न उदाहरण उनका उनकी उनके उन्होंने उसका उसकी उसके उसमें उसे एक औचित्य और कथन कर करते हुए करते हैं करने कवि कहा जा सकता का कालिदास काव्य के किन्तु किया जाता है किया है किये किसी कुंतक ने के अनुसार के लिए को गया है गुण चमत्कार चाहिए छंद जब जहाँ जा सकता है जाता है जाती जिस प्रकार जिसका तथा तो दोष द्वारा नहीं है नाटक पद पर प्रकार की प्रतीति भरत मुनि भावों भी भेद महाभारत माना है में भी यदि यह रचना रति रस रस का रस की रसों लक्षण वक्रता वर्णन वह वही वाक्य विभाव विवेचन विशेष विश्वनाथ ने विषय वृत्ति वे शब्द शृंगार सभी से सौन्दर्य स्थिति ही हुआ है कि है क्योंकि है जिसके है जिसमें है जो है तो होकर होता है होती होते हैं होने होने के कारण