Panta kī kāvya sādhanā

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Sāhitya Niketana, 1975 - 218 pages

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Contents

Section 1
34
Section 2
103
Section 3
114

13 other sections not shown

Common terms and phrases

अपनी अपने अर्थात् अलंकार आकाश आत्मा इन इस इस प्रकार उपमा उस उसका उसकी उसके उसी प्रकार उसे एक एवं ओर कथन है कि कभी कर करके करता है करती करने कल्पना कवि का कवि ने कविता कहता का कथन है काव्य किन्तु किया है किसी की की भाँति के कारण के प्रति के रूप में के लिए के समान को गया है गयी चित्रण चेतना छाया जगत जब जल जाती जिस प्रकार जी जीवन के जैसे जो तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया दृष्टि द्वारा नहीं पंत पन्त पर परिवर्तन पल्लव प्रकृति प्रतीत प्रदान प्रस्तुत प्राप्त प्रेम भाव भावना भी मन मानव में कवि मैं यह युग रहता रहती रहा है रही वह विशेष विश्व वीणा वे संसार सकता सी सुख सुन्दर से सौन्दर्य हम हिमालय ही हुआ हुई हृदय हे है और है तथा हैं हो जाता है होकर होता है होती होने

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