Aśru peṛa jhare

Front Cover
Bhāvanā Prakāśana, 1990 - 95 pages

From inside the book

Contents

Section 1
5
Section 2
7
Section 3
11

2 other sections not shown

Common terms and phrases

अकेले अपना अपनी अपने अब आंखें आंखों आंगन आकाश आज इस इसकी इसी उस उसका उसकी उसे एक दिन और कई कभी कर करने कविता कहां कहीं का कि किन्तु किसी की कुछ कुलजीत शाने के के लिए केवल को कोई क्या खो गई गए गांव घर छाया जब जल जाएगा जाता है जाती जाते जाने जीवन जो तक तट पर तब तुम तुम्हारे तुम्हें तो था दर्द दिया दूर देख देखा देहरी द्वार धरती नक्षत्र नदी नहीं निरन्तर ने पंख पक्षी पर पहाड़ पानी पेड़ पौधों फल फिर फूल बच्चा बन बस बसन्त बहुत भर भी भीतर मन मिट्टी मिल मुझे में मेरे मैं मौन यह या ये रह रहा रही है रहे रात लगा लगी लगे ले लो वह वाली वृक्ष वो सकती सा सांसों सागर साथ साथ-साथ सी सूर्य से हर हवा हाथ हाथों ही हुआ हृदय है कि है यह हैं हो गया होता

Bibliographic information