Mānasa catuḥśatī smārikā ; sampādaka Jagadīśa Prasāda CaturvedīJagadīśa Prasāda Caturvedī Rāmacarita Mānasa Catuḥśatī Rāshṭrīya Samiti, 1974 - 96 pages |
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अनेक अन्य अपनी अपने इन इस इसी उनका उनके उन्होंने उस उसके एक एवं ऐसा और कथा कर करता करते हैं करने कवि कहा का कारण काव्य किन्तु किया गया किया है किसी की कुछ के प्रति के रूप में के लिए केरल केवल को कोई गई गया है गोस्वामी ग्रन्थ जब जाता जिस जी जीवन जो डा० तक तथा तुलसी तुलसी ने तुलसीदास तुलसीदास ने तो था थी थे दिया दृष्टि देश द्वारा धर्म नहीं नहीं है ने पर परन्तु प्रकार प्रस्तुत प्राप्त बात भक्ति भगवान भरत भारत भारतीय भाषा भी मन मलयालम मानस मानस के मानस में में में भी मैं यदि यह यहां या रचना रहा रहे राम राम के रामचरित रामचरितमानस रामनवमी रामायण रावण लक्ष्मण वह विभिन्न वे श्री श्रीराम संस्कृति सन् सब सभी समय समाज समारोह समिति सीता से हम हिन्दी ही हुई हुए है और है कि हैं हो होता है होती होते