Śabdabrahmamīmāṃsā: Vākyapadīyagata Brahmakāṇḍa ke āloka meṃStudy of theory sementics and philoosphy of Sanskrit grammar as discussed in Brahmakāṇḍa, a portion of Vākyapadīya of Bhartr̥hari. |
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... यथा शुक्ति से ' रजत ' का ज्ञान विवर्त है और दूध से दही का होना परिणामक कहलाता है । 4 " 6 भर्तृहरि की कारिका ' विर्वतेऽर्थभावेन ' ' को ...
... यथा शुक्ति से ' रजत ' का ज्ञान विवर्त है और दूध से दही का होना परिणामक कहलाता है । 4 " 6 भर्तृहरि की कारिका ' विर्वतेऽर्थभावेन ' ' को ...
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... यथा पृथिव्यामोषधयः सम्भवन्ति । यथा सतः पुरुषात्केश लोमानि तथाक्षरात्सम्भवतीह विश्वम् ।। 5 , शाङ्गरभाष्य ( वही ) पृ.सं. , 23 , यथा लोके ...
... यथा पृथिव्यामोषधयः सम्भवन्ति । यथा सतः पुरुषात्केश लोमानि तथाक्षरात्सम्भवतीह विश्वम् ।। 5 , शाङ्गरभाष्य ( वही ) पृ.सं. , 23 , यथा लोके ...
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... यथा बड़े पक्षी को पकड़ने के लिए व्याधा छोटे पक्षी को सूत्र में बांध लेते हैं और यथा अवसर उसे उड़ाता है फिर सूत्र खींच लेता है । इस ...
... यथा बड़े पक्षी को पकड़ने के लिए व्याधा छोटे पक्षी को सूत्र में बांध लेते हैं और यथा अवसर उसे उड़ाता है फिर सूत्र खींच लेता है । इस ...
Common terms and phrases
अपने अर्थ का अर्थात् आदि इति इस इस प्रकार इसी उत्पन्न उन्होंने उपनिषद् उपर्युक्त कथन उसी प्रकार ऋग्वेद एक एवं कथन है कि कर करता है करते हुए कहा करने कहा गया है कहा है कि का कथन है काण्ड कात्यायन काल किन्तु किया है की के कारण के द्वारा के रूप में को क्योंकि जो ज्ञान डॉ तत्त्व तथा तो दर्शन दोनों द्र ध्वनि नहीं नागेश नाम ने भी पं पतञ्जलि पद्धति पर पश्यन्ती पाणिनि पृ प्रकार प्रतीत होता है प्रयोग प्राकृत ब्रह्म भर्तृहरि ने भी भेद मत मध्यमा महाभारत महाभाष्य माना है में भी मोक्ष यथा यह या वर्ण वह वही वा वा.प वाक् वाक्यपदीय वाणी वाराणसी विचार विषय वृत्ति वृषभदेव व्याकरण शक्ति शब्द का शब्दब्रह्म शास्त्री संस्कृत साथ साधु से स्पष्ट स्फोट स्फोट को स्वरूप स्वीकार हरिवृत्ति ही हुआ हुए कहा है है और हैं हो जाता है होता है कि होती होने