Deśa kā BhaviśyaViplava Kāryālaya, 1960 |
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अच्छा अपना अपनी अपने अब अमृतसर आप आया इस उत्तर उन उन्हें उर्मिला उस की उस के उस ने उसे एक और कनक ने कर करने कह दिया कहा का काम किया किसी की ओर कुछ के लिये के साथ के सामने कोई क्या क्यों गया था गयी गये गिल घर चाय जा जाने जालंधर जी जी ने जो तक तारा को तारा ने तुम तो थीं थे दिन दिया दिया था दिल्ली दी दूसरे दे देख देने दो दोनों नरोत्तम नहीं नहीं है नैयर पंजाब पत्र पर परन्तु पहले पाकिस्तान पुरी पुरी ने पूछा प्रकट प्रेस फिर बहुत बात भी मकान मन मिल मिसेज मुझे में मैं यह यहाँ या रह रहा था रही थी रहे थे लगा लड़की लाहौर लिया ले लेने लोग लोगों वह वे सकता सब समय साहब सिर सीता सूद जी से स्वयं हम हाथ ही हुआ हूं है हैं हो गया होगा