DharmacetāHindī Pracāraka Pustakālaya, 1964 - 120 pages |
Common terms and phrases
अकाल अपनी अपने अब आप इन्द्रप्रस्थ इस इस प्रकार उत्तर उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उपराज उस उसके उसने उसे एक ऐसा और कर करते करना करने कलिंग कष्ट का पालन कारण किन्तु किया किसी की ओर कुछ कुरुधर्म कुरुषमं के लिए के साथ को कोई क्या गई गए चाहते चाहिए जब जयघोष जा जाने जो ज्योतिदेव तक तब तुम तो था थी थीं दिया दे देख देखा दोनों द्वार नगरसेठ नरेश ने नहीं ने कहा पर परन्तु पास पुरुष पूछा प्रजा प्रजा के प्राप्त फिर बात बोले भी महामात्य महाराज ने महाराज पद्मसंभव महारानी मुझे में मेघलेखा मेरी मेरे मैं मैंने यदि यह यहाँ रहा रहा था रहा है रही रहे थे रहे हैं राजकुमार राजमाता राजा रानी लगे लोग वह विप्रगरण विप्रप्रधान विप्रवर विवरण वे वेदपुत्र ने श्राप समय सुनकर से स्थिति स्वयं स्वर हंस हम हमें ही हुआ हुई हुए हूँ हृदय है कि होकर होता