Maśāla: UpanyāsaNilābha Prakāśana, 1957 - 240 pages |
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... थी । योंही वह सुन्दर थी । रंग भी उसका काफ़ी साफ़ था । मेम साहब साँवली थी । वह रोज़ सुबह - शाम खूब पावडर लगाती थी । फिर भी रंग और रूप ...
... थी । योंही वह सुन्दर थी । रंग भी उसका काफ़ी साफ़ था । मेम साहब साँवली थी । वह रोज़ सुबह - शाम खूब पावडर लगाती थी । फिर भी रंग और रूप ...
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... थी । बुनना सीखने और बुनने में इधर उसने खूब मिहनत की थी । बावर्चीखाने में बैठे - बैठे , लान पर बच्चों को खेलाते समय , रात को मंजूर के सो ...
... थी । बुनना सीखने और बुनने में इधर उसने खूब मिहनत की थी । बावर्चीखाने में बैठे - बैठे , लान पर बच्चों को खेलाते समय , रात को मंजूर के सो ...
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... थी , पर दूसरे ही छन नरक की धधकती आग में उसकी खुशी जल कर भस्म हो गयी थी । और आज उस बात को जैसे एक जमाना गुजर गया । उसे श्राशा थी , कि एक ...
... थी , पर दूसरे ही छन नरक की धधकती आग में उसकी खुशी जल कर भस्म हो गयी थी । और आज उस बात को जैसे एक जमाना गुजर गया । उसे श्राशा थी , कि एक ...
Common terms and phrases
अपना अपनी अपने अब आँखें आँखों आज आदमी आप इस उठा उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसे और करता करने कह कहा कहाँ का कानपुर काम कि किया किसी की ओर की तरह कुछ के पास के लिए को कोई क्या क्यों गयी गये घर जब जा जाने जिन्दगी जैसे जो तक तुम तो थी थीं दिन दिया दुनिया दे देख देखा देश दो नरेन नरेन ने नहीं ने ने कहा पड़ा पर पानी फिर बहुत बात बातें बाद बार बोला बोली भर भाभी भी मंजूर मजदूर मजदूरों मदीना माँ मालूम मिल मुँह मुझे में मैं यह यहाँ या याद रह रहा था रहा है रही थी रहे थे रूस लगा लगी लिया ले लेकिन वक्त वह वहाँ वे शकूर श्राज सकीना सकीना की सब समझ साथ सामने साहब सिर से हम हर हाथ ही हुआ हुई हुए है हैं हो गया होता