Maśāla: UpanyāsaNilābha Prakāśana, 1957 - 240 pages |
From inside the book
Results 1-3 of 88
Page 84
... पर हाथ फेरता अपने दिलो - दिमाग पर काबू रख उसे सान्त्वना देता रहा , “ धीरज धरो , सकीना , धीरज धरो ! बिपदा सहने से कटती है । किस्मत में जो ...
... पर हाथ फेरता अपने दिलो - दिमाग पर काबू रख उसे सान्त्वना देता रहा , “ धीरज धरो , सकीना , धीरज धरो ! बिपदा सहने से कटती है । किस्मत में जो ...
Page 110
... पर पुता पावडर बहुत बुरा लगता था । इसीलिए वह अपने चेहरे पर पावडर नहीं लगाती थी । इधर उसका शरीर खूब गदरा गया था । कुल्हों पर , बाजुनों पर ...
... पर पुता पावडर बहुत बुरा लगता था । इसीलिए वह अपने चेहरे पर पावडर नहीं लगाती थी । इधर उसका शरीर खूब गदरा गया था । कुल्हों पर , बाजुनों पर ...
Page 154
... पर विश्वास नहीं करता , वार्डर नम्बरदार पर विश्वास नहीं करता और नम्बरदार नम्बरदार पर विश्वास नहीं रखता । जैसे सब एक - दूसरे से डर रहे ...
... पर विश्वास नहीं करता , वार्डर नम्बरदार पर विश्वास नहीं करता और नम्बरदार नम्बरदार पर विश्वास नहीं रखता । जैसे सब एक - दूसरे से डर रहे ...
Common terms and phrases
अपना अपनी अपने अब आँखें आँखों आज आदमी आप इस उठा उनके उन्हें उस उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ऐसे और करता करने कह कहा कहाँ का कानपुर काम कि किया किसी की ओर की तरह कुछ के पास के लिए को कोई क्या क्यों गयी गये घर जब जा जाने जिन्दगी जैसे जो तक तुम तो थी थीं दिन दिया दुनिया दे देख देखा देश दो नरेन नरेन ने नहीं ने ने कहा पड़ा पर पानी फिर बहुत बात बातें बाद बार बोला बोली भर भाभी भी मंजूर मजदूर मजदूरों मदीना माँ मालूम मिल मुँह मुझे में मैं यह यहाँ या याद रह रहा था रहा है रही थी रहे थे रूस लगा लगी लिया ले लेकिन वक्त वह वहाँ वे शकूर श्राज सकीना सकीना की सब समझ साथ सामने साहब सिर से हम हर हाथ ही हुआ हुई हुए है हैं हो गया होता