Deśa kā BhaviśyaViplava, 1963 |
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अच्छा अपना अपनी अपने अब अमृतसर आप आया इस उत्तर उन उन्हें उर्मिला उस की उस के उस ने उसे एक और कनक ने कर करने कह दिया कहा का काम किया किसी की ओर कुछ के लिये के साथ के सामने कोई क्या क्यों गया था गयी गये गिल घर चाय जा जाने जालंधर जी ने जो तक तारा को तारा ने तुम तो थीं थे दफ्तर दिन दिया दिया था दिल्ली दी दूसरे दे देख देने दो दोनों नरोत्तम नहीं नहीं है पंजाब पत्र पर परन्तु पहले पाकिस्तान पुरी पुरी ने पूछा प्रकट प्रेस फिर बहुत बात भर भी मकान मन मां मिल मुझे में मैं यह यहां या रह रहा था रही थी रहे थे लगा लड़की लाहौर लिया ले लोग लोगों वह वे सकता सब समय साहब सिर सीता सूद जी से हम हाथ ही हुआ हुई हुये हूं है हैं हो गया होगा