Kanupriyā |
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... समुद्र की भांति मुझे धारण कर लिया --- विलीन कर लिया-- फिर भी अकूल बने रहे मेरे साँवले समुद्र तुम आखिर हो मेरे कौन मैं इसे कभी माप ...
... समुद्र की भांति मुझे धारण कर लिया --- विलीन कर लिया-- फिर भी अकूल बने रहे मेरे साँवले समुद्र तुम आखिर हो मेरे कौन मैं इसे कभी माप ...
Page 55
... समुद्र मेरा है पर आज मैं उधर नहीं देखना चाहती यह प्रगाढ़ अन्धेरे के कण्ठ में झूमती ग्रहों उपग्रहों और नक्षत्रों की ज्योतिर्माला ...
... समुद्र मेरा है पर आज मैं उधर नहीं देखना चाहती यह प्रगाढ़ अन्धेरे के कण्ठ में झूमती ग्रहों उपग्रहों और नक्षत्रों की ज्योतिर्माला ...
Page 83
... समुद्र की लहरें अब तुम्हारी फैली हुई सांवरी शिथिल बांहें हैं भटकती सीपियां तुम्हारे कांपते अधर और अब इस क्षण तुम केवल एक भरी हुई ...
... समुद्र की लहरें अब तुम्हारी फैली हुई सांवरी शिथिल बांहें हैं भटकती सीपियां तुम्हारे कांपते अधर और अब इस क्षण तुम केवल एक भरी हुई ...
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Common terms and phrases
अक्सर अगर अनन्त अपनी अपने अपने को अब अर्जुन आज आम के आम्र इतिहास इन इस उस उसी उसे एक और तुम और मैं कनु कभी कर करती कहा है का कि तुम कि मैं कितना कितनी बार की तरह कुछ के केवल कैसे को कोई कौन है क्या क्यों क्षण खड़े गया है गयी गये गीत जब तुमने जा जाती जाना जिसे जिस्म जो तक तन तन्मयता तुम मेरे तुमने तुमसे तुम्हारे तुम्हें तो तो मैं था थी दिन दिया दो नहीं नहीं आयी नहीं है ने पगडण्डी पर पाती पास प्यार प्रतीक्षा फिर बन बाँहों बार-बार बौर भय भर भी मांग मात्र मान मुझे में मेरा मेरी मेरे मैंने यमुना यह या ये रही रहे हैं लगता है लिया ले लो वह शब्द सब समझ समय समुद्र सा सारे सिर्फ सी सुनो सृष्टि से सो ही हुआ हुई हुए हूं है और है कि हो और होकर