Kavi-śrī mālā, Volume 1Rāshtrabhāshā Pracāra Samiti, 1962 - Hindi poetry |
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अनुवाद किया अपनी अपने असम असमिया आछे आज आदि आनन्द आशा आहोम इन इस इसी उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसने उसी एक और कत कथा कर कवि कविता कविने कहा का कारण कालमें काव्य किया है की कुछ के केतेकी को कोई क्या गई गए गया है गाओ गीत गोवा ग्रन्थ चम्पा चौधुरीजी जन्म जाता है जिस जीवन जीवनी जो तक तरह तुम तुमने तुमि तुम्हारे तो था थी थे दिया दुख दो दोनों नहीं नाटक नाम नामक पक्षी पुराण प्रकृति प्राप्त प्रिय बिहंगिनि प्रेम फिर बहुत बिहार भाषा भी मुझे में मेरी मेरे मैं मोर यह रघुनाथ रहा रही हो रहे रामायण रूप रूपमें लिए लिखे लिया वह विहंगिनी वे वैष्णव शंकर शान्ति श्री संसार संस्कृत सन् सभी समय साथ साहित्य साहित्यका सुख सुन्दर सुरत से ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय हे है और है कि हैं होता