Rādhā. [lekhaka] Jānakīvallabha Śāstrī, Volume 4

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Lokabhāratī Prakāśana, 1971 - Rādhā (Hindu deity)

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4
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अपनी अपने अब आकाश आग आज आत्मा आप इस उदास उद्धव उन्हें उर उस एक ओर और कभी कर करती कह कहाँ का काल कि किन्तु किया किरण किसी की कुछ कृष्ण के को कोई कौन क्या क्यों खोल गई गए गगन गन्ध गया गान जब जल जाती जीवन जो ज्ञान ज्यों तक तुम तो था थी थे दिन दूर दृष्टि दे देख दो ध्यान न हो नयन नहीं नाम नारी नाव नीर नील पर पल पा पार पास पुरुष प्यार प्रणय प्राण प्रीति प्रेम फिर फूल बन्द बात बोल भर भले भाव भी भूल मत मन मुझे में मैं मौन यह या रंग रहा रही रहे राधा राधिका रुक्मिणी रुक्मिणी ने रूप ले वह विनोद विश्वास व्यर्थ शान्त शिशुपाल शून्य सकता सका सब समान सा साँस साथ सिर सुख सुन से स्मृति स्वर हम हाथ हार ही हुआ हुई हुए हृदय है हैं हो न हों होगा होता

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