Tantrāgamīya dharma-darśana, Volume 1Exhaustive study of the Tantric and Agamic literature. |
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अथवा अनेक अन्य अपने अभिनवगुप्त आगम आदि आधार इन इनका इनमें इस तरह से इसका इसकी इसके इसी उद्धृत उपलब्ध एक एवं और कर करते हैं करने कहा गया का का स्वरूप कारण किन्तु किया गया है किया है की कुछ के अनुसार के रूप में के लिये के साथ को कोई क्षेमराज गई है गया है कि ग्रन्थ ग्रन्थों चार जाती जैसे ज्ञान डॉ तत्त्व तथा तन्त्रालोक तन्त्रों तीन तो था दर्शन दिया दीक्षा दो द्वारा नहीं नहीं है नामक ने पद पद्धति पर परिचय पाँच पांचरात्र पाशुपत पृ प्रकार प्रमाण बताया गया है बौद्ध भगवद्गीता भगवान् भेद मत मन्त्र महाभारत मानी मिलता है में भी मोक्ष यह यहाँ ये वचन वर्णित वह वहाँ वाले विषय वे वैष्णव व्याख्या शक्ति शब्द शाक्त शास्त्र शिव शैव श्लोक सभी समय सृष्टि स्थिति स्पष्ट हम ही हुआ हुए है और है कि हो जाता है होता है होती होने