Bhuvana vikrama: aitihāsika upanyāsa

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Mayūra Prakāśana, 1964 - 352 pages

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अच्छा अधिक अपना अपनी अपने अब अयोध्या इस उन उनके उस उसका उसकी उसके उसने उसे एक और कभी कर करते करना करने कह कहीं का काम कि किया किसी की कुछ के लिये के साथ को कोई क्या गई गये गौरी ने घर चला चली जब जा जाने जी जैसे जो तक तब तुम तुम्हारे तुम्हें तो थी थीं थे दिन दिया दीर्घबाहु दूर दूसरे देखा दो दोनों धौम्य नहीं नाम नील नील ने ने कहा पड़ा पर परन्तु पहले पीछे फिर बड़े बहुत बात बाहर बोला भी भीतर भुवन ने मन ममता मुझे में मेघ ने मेरी मेरे मैं मैंने यह यहाँ या ये रहा था रही थी रहे थे राजा रोमक रोमक ने लगा लिया ले वह वाले वे वेद शूद्र सब समय सामने सिर सी से सोम स्वर स्वर में हम हाथ हिमानी ने ही हुआ हुई हुये हूँ है हैं हो गया होगा

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